Mamta Kale exposes fake farmer Yogendra Yadav Rakesh Tikait,Farmers protest...
युक्तियां जी से निवेदन करना चाहती हूं कि यह कौन सी शब्दावली है कि आप बोल रही कि 2,000 24 तक कि किसान आंदोलन चला जाएगा मैं उनसे हाथ जोड़कर निवेदन करना चाहती हूं कि आपका बहुत सम्मान है आपको हम बहुत बड़ा किसान नेता मानते हैं हिंदुस्तान मानता है और इसलिए जो जो भी आज हो रहा है उसका समर्थन किसानों के मन में कोई शंका है उसको लेकर की किया जाए तो बहुत अच्छी बात है किंतु जब यह विधेयक यह तीनों बिल पास हुए थे जब यह सारी चीजें आई थी मारी फ्लोर हाउस में पास हुई थी तब राकेश टिकैत जी ने इन बिल का समर्थन किया था और बोला था कि बहुत ही बढ़िया विधेयक है साहब इससे तो किसानों की जिंदगी बहुत बढ़िया होने वाली है किसानों के फायदे यह बिल है तो सोनियाजी के निकालिए कपिल सिब्बल के निकाली राहुल गांधी का निकाली साहब ने इस अब यह जो चीज है इस बिल में है उनकी पैरवी कर इधर यादव पहले यह तय कर ले व है क्या उनको यही नहीं पता है वह मतलब इतनी उनको अपनी आइडेंटिटी क्राइसिस ओं रखा है जेएनयू में झगड़ा होता है तो स्टूडेंट बन जाते विद्यार्थी विद्यार्थी बन जाते हैं बताओ यहां पहुंच जाते हैं नई नई नई यह ऐसा तो नहीं चलेगा ऐसा तो नहीं होगा और जाकर कन्हैया कुमार के साथ उमर खालिद के साथ बैठ जाते हैं तो कहा कि किसान है भाई से पूछो तो सही कि आपके किसानों से किसानी से क्या लेना-देना है तो योगेंद्र यादव ने बजाकर के गाना प्यार एंड क्रिएटिव लेट्यूस सुधार ले रखिए जब यूपीए की सरकार थी जब शरद पवार जी देश के कृषि मंत्री थे तब कितनी आत्महत्या युद्ध तब आप कहां सोए हुए थे आपको किसान वाला जो प्रेम है वह चीनी जाएगा योगेंद्र जी तब बटर में जा करके चुप नहीं बैठे थे योगेंद्र जी आप अपना झोला लेकर जो लेकर कि आप जाते हैं योगेंद्र जी तब आप यह किसानों के बीच में गहन कल तक जो अपने आपको किसानों के नेता कहने वाले राकेश टिकैत यह कह रहे थे कि अगर यह बिल वापस नहीं हुआ कृषि कानून वापस नहीं गया तो हम 2014 तक इस आंदोलन को करेंगे और आज ही अपने आप को किसान कहने वाले योगेंद्र यादव एक वीडियो डालते हैं जिसमें वह यह कहते हैं कि ज्यादा किसान नहीं आ रहे हैं हमारे आंदोलन में और जब लोग पूछते हैं कि कि आंदोलन में किसान क्यों नहीं आ रहा तो यह बात बहुत ज्यादा दुखद है मेरे लिए देखिए ऐसा है पहले मैं आदरणीय राकेश चटर्जी की बात करूंगी मैं उनसे हाथ जोड़कर निवेदन करना चाहती हूं कि आपका बहुत सम्मान है आपको हम बहुत बड़ा किसान नेता मानते हैं हिंदुस्तान मानता है और इसलिए जो जो भी आज हो रहा है उसका समर्थन किसानों के मन में कोई शंका है उसको लेकर की किया जाए तो बहुत अच्छी बात है किंतु जब यह विधेयक यह तीनों बिल पास हुए थे जब यह सारी चीजें आई थी मारी फ्लोर आफ थे हाउस में पास हुई थी तब राकेश टिकैत जी ने इन बिल का समर्थन किया था और बोला था कि बहुत ही बढ़िया विधेयक है साहब इससे तो किसानों की जिंदगी बहुत बढ़िया होने वाली है किसानों के फायदे यह बिल है तो अब यह सोचने वाली बात है कि उस वक्त वह सही बोल रहे थे इस वक्त सही बोल रहे हैं अगर आपने स्वस्थ इन का समर्थन किया था बिल सवा तो आज बीच में अचानक ऐसी क्या खराबी आ गई वह बिल जो पूरे संवैधानिक तरीके से फ्लोर हाउस में पास हुए हैं महामहिम जी की तो लग गई है उसमें और किसानों के पक्ष में है सबसे बड़ी बात यह है कि किसानों के पक्ष वाली बिल की बात है इतने सालों से 70 सालों से देश के अंदर किसानों का सिर्फ और सिर्फ दोहन किया गया है चाहे वह कांग्रेस पार्टी हो चाय लाल सलाम हो चाहे बाकी तमाम जो 22 पॉलीटिकल पार्टी से जो घुस गई है यहां पर किसान आंदोलन में किसान बंद करके उन्होंने सिर्फ दोहन किया है और जो भी इस बिल में बातें की गई है वाइब्रेशन वह अगर आप खास तौर पर कांग्रेस पार्टी यह झूठे पार्टी के बयान निकालेंगे ना सोनिया जी के निकालिए कपिल सिब्बल के निकाली राहुल गांधी को निकालें सब ने इस समय यह जो चीज है इस बिल में है उनकी पैरवी करिए मंडी तथा हटाने की किसानों का दोहन करने की अब सिर्फ सारी चीजें जो यह कर नहीं पाई UPA वाले हाय-तौबा मचा मचा कर के एनडीए ने कर दी तो नाचने लगी डमरू लेकर केसर को मिलाकर के तमाशा करने लगे हैं और मैं राकेश ठीक है जैसे यह निवेदन करना चाहती हूं कि यह कौन सी शब्दावली है कि आप बोल रही कि 2,000 24 तक कि किसान आंदोलन चला जाएगा यानी कि इससे यह हम समझ रहे आंजना ध्येय तो हमारी सर माथे पर है अन्नदाता इस देश का सर्वोपरि है जब जय जवान जय किसान हमारे लिए नारा नहीं है इस बात पर हिंदुस्तान की जनता विश्वास रखती है और मैं यह कहती हूं कि अगर किसी भी किसान के बने अगर किसी प्रकार की कोई शंका है तो बिल्कुल सरकार का दायित्व बनता है उनका को खत्म करना क्योंकि आज अगर हम भोजन कर रहे हैं उसे किसान की कृपा से कर रहे हैं तो वह किसान के साथ किसी प्रकार का अन्याय नहीं होना चाहिए तो सरकार भी वह काम करना चाहती है किसान भी करना चाहता लेकिन बीच में नेता लोग आकर बैठ गए हैं अब 2014 तक की जो बात है आप सोचिए आप यह कहने की कोशिश कर रहे हैं कि 2,000 24 तक वह किसान जो पांच प्रतिशत के साथ जो आंदोलित है जिसको भ्रमित किया गया है जो परेशान है किसी भी चीज से हाथ जोड़कर के उनसे निवेदन हम सारे लोग कर रहे हैं कि आप लोग आराम से अपने घर चाहिए और सरकार आपके लिए सबकुछ करने के लिए तैयार है जो है अभी तो आप कह रही थी वह 2014 तक सड़कों पर रहेगी यानी कि बेचारा किसान 70 साल तक मार खाता रहा अब भी सड़कों पर बैठा रहेगा क्योंकि कुछ पॉलीटिकल पार्टीज को राजनीति के तवे पर अप व्यक्तियों से एक है किसान के अंदर करके अपने राजनयिक बंदूक बनानी है कि हमारा किसान सड़कों पर बैठेगा क्यों 2014 तक उसकी समस्याओं का समाधान नहीं होगा क्यों रहेगा किसान इस तरीके से बिल्कुल नहीं उसके बाद एक और बयान आता है जिसमें कहा जाता है दिल्ली को चारों तरफ से घेर देंगे और उसके बाद ऊपर से बाहर यहां पर रसद आएगा तो वहीं दिल्ली में पूरे देश भर के अंदर से छोटे-छोटे जहां से आकर के लोग बसते हैं दिल्ली का तो यह सपना तो है नहीं इस राज्य के अंदर तो लोग कहेंगे सेवा करते रहते हैं यूपी के अंदर है आधा यह बताइए कि आम जनता को तंग करना तो किसान आंदोलन का स्वरूप नहीं हो सकता हमारे देश का किसान कर उपयोगी है हमारे देश का किसान हठ योग में विश्वास नहीं रखता है हट 130 बंद करके बैठे हुए नेता चुन नहीं चाहते कि किसान सुख शांति से रहे अगर आप दिल्ली को चारों तरफ से घेर देंगे अगर आप दिल्ली को परेशान करेंगे तो क्या केवल यहां दिल्ली में नेता ही नहीं रहते हैं या केवल नेताओं की परेशानियों की नहीं आम जनता को परेशानी होगी जो हो भी रही है परसों ट्रैक्टर रैली निकाली गई कितने उज्जैन कितने किलोमीटर का लग गया कितने लोगों को परेशानी हुई है किसान कभी इस देश का ऐसा कर ही नहीं सकता कि आते हैं हमारे देश का जो आनंद आता है वह देश प्रेमी जमीन से जुड़ा हुआ है सब कुछ समझदार जनता को तो कभी तंग नहीं कर सकी आपने कहा कि इस तरीके चीजें इस आंदोलन में की जा रही है उस तरीके की चीजें कभी हमारा किसान नहीं कर सकते हो यहां पर जितने भी किसान आंदोलन में बैठे हैं जितने भी बॉर्डर्स को सील कर रखा है वहां पर कुछ उसके साथ ऐसे हैं जिन्हें बरगलाया गया और अब जो किसान अपने खेतों में काम कर रहे हैं जैन किसानों के पास इस आंदोलन में आने के लिए टाइम नहीं है उन्हें आनंद उन्हीं किसानों को फंसाने की कोशिश कर रहे हैं योगेंद्र यादव और कह रहे हैं कि मेरे जिले से मेरी जगह से जो किसान नहीं आए हैं मुझे उन सारी चीजों को देखकर बड़ा दुख है कि बहुत दूर-दूर से किसान आ रहे हैं और मेरे जिले के किसान नहीं आई देखिए फ्रेंड्स पहली बात तो यह है कि यह जो किसान आंदोलन है हिंदुस्तान का जो टोटल किसान है उसमें से 95परसेंट किसान आज इस बिल के पक्ष में खड़ा है सरकार के साथ खड़ा है पांच बच्चन के साथ किसी तरीके से भ्रमित है आप मैं पहली बात यह बोलना चाहती हूं कि सरकार की क्या जिम्मेदारी यह हमें समझना पड़ेगा क्या सरकार 95परसेंट किसान को इग्नोर कर सकती है जो चाहती है कि यह बिल रहे आप चाहते हैं क्योंकि दशा और दिशा दोनों सुरे वे चाहते हैं कि जितना जिस प्रकार का दोहन का हुआ है और दोनों उनका नाम और उनके साथ अच्छा हो ठीक है और दूसरा है पांच बज के मन में कोई शंका है क्या एक बचत भी हो मैं कैसे शंका का समाधान होना चाहिए लेकिन सरकार को बचाने पसंद के साथ गिरा देना है उनका भी सम्मान करना जो पांच परसेंट है उनकी बात भी सुनी है उनके बीच में नेता आगे कौन योगेंद्र यादव जैसे हमने योगेंद्र यादव जी की बात करती योगेंद्र यादव पहले यह तय कर ले व है क्या उनको यही नहीं पता है वह मतलब इतनी उनको अपनी आइडेंटिटी क्राइसिस ओं रखा है योगेंद्र यादव जी जेएनयू में झगड़ा होता है तो स्टूडेंट बन जाते विद्यार्थी विद्यार्थी बन जाते हैं बताओ यहां पहुंच जाते हैं नई नई नई यह ऐसा तो नहीं चलेगा ऐसा तो नहीं होगा और जाकर कन्हैया कुमार के साथ उमर खालिद के साथ बैठ जाते हैं वह मर खाली बाद में जो आजकल जेल में है जिन पर देश प्रो का रेट चल रहा है जिन्होंने दिल्ली को जलाने का ब्लूप्रिंट बनाया था जो दिल्ली में जिन्होंने दंगे कराए हैं यूरोपीय की तरह है तो आजकल अंदर सरकारी रोटी खा रहे हैं ठीक है उसके बाद शाहीन बाद जब होता एक तो योगेंद्र यादव जी माइनॉरिटी बन जाते हैं और भाई सब चले जाते हैं शाहीन बाग में कहते कि नहीं ने बहुत मतलब मैं बहुत ही पीड़ित व्यक्ति हूं और मेरे पास कागज पत्तर नहीं है मैं कागज-पत्तर दिखा नहीं सकता तो शाहीन बाग में जा करके बैठ जाते हैं झूठ की राजनीति करते हैं और उसके बाद अब पहुंच गए बॉर्डर में कहते हैं तो भैया किसान मैं तो किसान अबे योगेंद्र जी से यह पूछना चाहते हैं आप यह बताओ आपके पास जमीन का है कितने बीघे की जमीन है कहां पर आप की जमीन है आपने कभी हलवा लगाया है कि नहीं लगाया है आपने कभी खेत में किसी भी प्रकार का धान वगैरह तय है कि नहीं है आपको पता है कि किस प्रकार की फसलें होती हैं तो कहां की है किसान है भाई से पूछो तो सही कि आपके किसानों से किसानी से क्या लेना-देना है किसानी का आपको यह नहीं पता कि सानिया अपने की जिंदगी में नहीं कैरियर बचाना से मौका परस्ती ले करके आप पहुंचे किसानों के बीच में क्यों क्योंकि आपको इस देश को जलाना है क्योंकि आपको देश का विरोध करना है आदरणीय नरेंद्र मोदी जी का विरोध करते-करते सिर यह लोग के स्तर पर आ जाते हैं कि देश विरोध में उतर जाते हैं आप सोचना इन लोगों की वजह से इन लोगों की वजह से कैनेडा में बैठे हुए कनाडा के कि हिम्मत हो जाती है कि वह भारतवर्ष के खिलाफ एक वीडियो बना देते हैं और बहुत अच्छा थोड़ी कैनेडियन नेता वहां के मेंबर ऑफ पार्लियामेंट के जज पार्लिमेंट जहां करके हमारे किसान आंदोलन में चले जाते हैं हमारे लोगों को भड़काते हैं कैसे विदेशी हमारे देश के अंदर आकर हमारे अच्छे सालों के किसान आंदोलन के बीच में चला जाता है सोचने की बात है उसका साइड में बताती हूं तक कारण है जो अपने देश के अंदर जयचंद होंगे ना तो बाहर वाला आप उनका कंधा पकड़कर के तो उसे गलत हमारे देश का मामला है आप उनको ठक्कर के बाहर क्यों नहीं करते हैं क्योंकि उनको पता है कि मिस्टर योगेंद्र यादव दिल्ली बजाकर के गाने का ढूढ सुधार ले रखिए जब स्टूडेंट है तो उस वक्त अब वहां पर पहुंच गए अब वह ज्ञान सुनाये लेकिन किसानों के साथ बुरा हो रहा है इनसे पूछो कि इस किसानों के साथ बुरा क्या हो रहा है पहले आप यह पूछो और दूसरा इन्हें यह खुश रहिए योगेंद्र यादव इतने सालों से अपने ही नहीं देखा कि 70 वर्षों में स्वतंत्र भारत के अंदर किसानों के साथ कितना गलत और कितना बुरा हुआ था आप मुझे यह बता दो ना कि 2004 से 2014 जब यूपीए की सरकार थी जब शरद पवार जी देश के कृषि मंत्री थे तब कितनी आत्महत्याएं हुई और तब क्वाइट थे अ का किसान वाला जो प्रेम है वह चीनी जाएगा योगेंद्र जी कब बॉर्डर में जा करके क्यों नहीं बैठे थे योगेंद्र जी आप अपना झोला लेकर जो लेकर कि आप जाते हैं योगेंद्र जी तरफ क्योंकि किसानों के बीच में गए तब आप उसे इतनी आत्म हत्याएं हो रही है इतना गलत हो रहा है किसानों के साथ अब आपने कुछ नहीं बोला सोनिया गांधी जी हमेशा से यह बात बोलती आई है हमेशा यह बात बोलती है कि मंडी प्रथा खत्म कर देनी चाहिए बिचौलियों को खत्म कर देना चाहिए बिचौलिया हमारे किसानों को मार रहे हैं लेकिन किया तो कभी नहीं किया कभी नहीं हर चुनाव में चुनावी रैली में भाषण दिया हर चुनाव में किसानों से पोटली किसानों का दोहन किया काम कुछ नहीं था तब सोनिया गांधी के खिलाफ नहीं बोलेगी तब आप कांग्रेस पार्टी के खिलाफ नहीं गए बिल्कुल नहीं गए क्योंकि कैसे जाएंगे लाल सलाम कांग्रेस पार्टी यह सारे चोर चोर मोसेरे भाई हैं जहां पर केरला में एपीएमसी नहीं है वहां जला नहीं आ रहा है ATM से वहां पर उस कोई लेना-देना नहीं वाइट में बहरहाल बाबा का पार्लियामेंट एमपी बंद करके लेकिन वहां पैर कुछ नहीं बोलेंगे वह सब सुख शांति है लाल सलाम व कांग्रेस गठबंधन ने अपनी से बैठे हुए लेकिन दिल्ली में जला है दिल्ली को चारों तरफ से जाम कर दिया गया है दिल्ली में सब जगह लोगों को भ्रमित करके बिठाया हुआ है यह दुख की बात है और उसके बाद यह लोग हमेशा यह बोलते रहे उनका कांग्रेस मेनिफेस्टो पौन इंच और उसके पहले के भाषण पर योग्य हमेशा एपीएमसी के विरोध में हैं और आज जब एपीएमसी हर जगह रहेंगे मंत्रिमंडलीय है अवेलेबल हैं तो आप झूठ बोल रहे हो और जीत किसान आंदोलन था वह किस बात पर आरंभ हुआ था हुआ था एसपी को लेकर के ठीक है MS Word को लेकर शुरू हुआ था और MS Word वाली जो समस्या कि मैं मैं बहुत किसानों का सम्मान को पूरे सम्मान के साथ कहती हूं कि हां उनके मन में समस्या कि सरकार को बिलकुल दूर करनी चाहिए और सरकार ने बोला हिंदुस्तान कि आडवाणी प्रधानमंत्री ने बोला कि देंगे हो जाएगा समस्या का समाधान लिखित में दे देंगे तो क्या होना चाहिए था आंदोलन वापस हो जाना चाहिए था नहीं हुआ उसके बाद जो दूसरी समस्या थी वह यह थी कि भाई आप कहते हो कि सिर्फ हम एसडीएम कोर्ट तक जा सकते हैं मैं यह मानती हूं कि वाकई एसडीएम कोर्ट तक जाने वाली बात मुझे भी समझ में नहीं आई इसलिए क्योंकि वहां पर करप्शन के और कि वो तंग करने के हेल्प करने के कई कारण हो सकते थे लेकिन सरकार ने देखिए एक कदम आगे गई यहां पर हमने बोला कि आप सिविल कोड जाए उसके अलावा हम अपने अन्नदाताओं के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट लगाएंगे वह समस्या का समाधान हो गया उसके बाद अन्नदाताओं की एक समस्या थी उसमें यह था कि जो प्राइवेट बड़ी आएंगे आप उन पर टैक्स नहीं लगाओगे तो फिर विरोधा भास रहेगा हमें परेशानी होगी सरकार ने बोला कि हम उनको भी टेक्स्ट कर देंगे अब तीनों जो मेजर प्रॉब्लम थी वह सॉल्व हो गई तो फिर क्या परेशानी है फिर कहते हैं कि नहीं बिल वापस लौट तो फिर आधा हमारा अंकिता नहीं बोल रहा है या अन्नदाता नहीं बोल रहा है वह बोल रहे हैं जिनकी राजनीति की दुकानें बंद हो गए हैं जो पॉलिटिकल बैंक रस्सी से गुजर रहे हैं और इस लिए यह हमारे अन्न दाताओं को तंग कर रहे हैं सड़कों में बिठाया इन्होंने और उनके साथ बुरा व्यवहार करें उनका दोहन करने जैसे 70 सालों से हुआ है लेकिन हम लोग यह होने नहीं देंगे अनुवाद नाम
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